Add To collaction

लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 37 
रेखा की गवाही से यह स्पष्ट हो गया था कि जो लाश अनुपमा के घर से मिली थी वह राहुल की नहीं बल्कि समीर की थी । राहुल की पत्नी रीमा ने उसकी गलत शिनाख्त की थी । इस तथ्य का पता चलते ही मंगल सिंह के हाथ पैर कांपने लगे । यदि यह साबित हो जाता है कि वह लाश समीर की थी तो उसका संबंध मंगल सिंह से जोड़ा जाएगा और उसकी खाट खड़ी हो जाएगी । इसलिए उसने ठान लिया था कि इस बात को स्वीकार करना ही नहीं है कि वह लाश समीर की थी । मंगल सिंह ने चुपके से यह बात सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी को कही तो त्रिपाठी जी खड़े हो गये और जोर जोर से कहने लगे 

"ये अदालत है या भीखू मौहल्ले का चौराहा ? जो भी गवाह आता है वह अपनी मरजी से कुछ भी बक कर चला जाता है । जब अदालत ने एक बार लाश की शिनाख्त राहुल के रूप में कर दी तो उसे बार बार बदला नहीं जा सकता है योर ऑनर । जो प्रश्न एक बार अदालत में निर्णीत हो जाता है तो उस पर दुबारा बहस नहीं हो सकती है, यह कानून का सर्वमान्य सिद्धांत है । क्या जासूस महोदय इतनी साधारण सी भी बात नहीं जानते हैं ? लगता है कि इन्होंने कोई फर्जी डिग्री ली है मी लॉर्ड । अगर इन्होंने किसी कॉलेज में कानून की पढाई की होती तो ये ऐसा नहीं करते" । नीलमणी त्रिपाठी हीरेन पर व्यक्तिगत प्रहार करने पर उतर आये थे इसलिए वे हीरेन को घूरते हुए बोले । 

नीलमणी त्रिपाठी की बात बिल्कुल ही गलत थी । इससे न केवल हीरेन की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला हो रहा था अपितु उन्होंने न्यायालय की कार्यवाही पर भी उंगली उठाई  थी । जब कोई नामी गिरामी वकील अपनी लचर बहस और अपने खिलाफ प्रस्तुत साक्ष्यों को तर्कपूर्ण तरीके से खण्डित करने में असमर्थ रहता है तब वह विपक्षी के विरुद्ध व्यक्तिगत हमले पर उतर आता है । यह खेल सारे मंझे हुए वकील खेलते हैं । ऐसे वकील अदालत को हर किसी बात पर गुमराह करते हैं और बात बात पर विपक्षी वकील का मान मर्दन करते हैं । उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं । हीरेन इन सब तरीकों से वाकिफ था इसलिए वह कुछ नहीं बोला । उसे पता था कि यदि वह इस संबंध में कुछ बोलेगा तो वकील साहब उस पर बेवजह अफंड करेंगे और इस केस को टालने के लिए कोई न कोई कारण ढूंढकर लंबी तारीख ले लेंगे । सरकारी वकील के कहने से न तो उसकी डिग्री फर्जी हो जाती है और न ही उसकी इज्ज़त कम हो जाती है । इसलिये हीरेन उन्हें चिढाते हुए केवल मुस्कुरा कर रह गया था । 

नीलमणी त्रिपाठी के ऑब्जेक्शन पर जज साहब को गुस्सा आ गया । वे कहने लगे "वकील साहब , ये क्या बकवास कर रहे हैं आप ? अपना नहीं तो कम से कम अदालत की गरिमा का तो खयाल कीजिए ? जिस तरह की भाषा का आपने प्रयोग किया है वह कतई स्वीकार्य नहीं है । आप एक सीनियर एडवोकेट हैं और अदालती प्रक्रिया को बखूबी जानते हैं । आपका काम है अदालत के समक्ष सबूत , गवाह और तथ्य रखना । उन पर क्या निर्णय होगा , क्या नहीं होगा, यह सोचना आपका काम नहीं है । अदालत कानून से चलती है आपकी बेतुकी और निराधार दलीलों से नहीं । जहां तक आपके द्वारा उठाए गये बिन्दु की बात है तो अभी थोड़े दिनों पहले माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 2023 CCR page no. 235 पर रमजान बनाम महाराष्ट्र सरकार केस में एक निर्णय दिया है जिसमें कहा गया है कि यदि किसी बिन्दु पर कोर्ट ने पहले कोई निर्णय दे दिया हो और बाद में कुछ नये तथ्य कोर्ट के सम्मुख प्रस्तुत किये गये हों तो पुराने निर्णय को संशोधित किया जा सकता है । सरकारी वकील साहब को यदि इस निर्णय का पता नहीं हो तो लाइब्रेरी में जाकर पढ़ सकते हैं । और हां, भविष्य में इस प्रकार की बद्तमीजी बिल्कुल भी पसंद नहीं है हमें । समझ गए ना" ? 

सरकारी वकील को जज साहब की डांट पर बहुत गुस्सा आया और वह वहीं बिफर गया । उसने शायद पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी कि आज हुडदंग मचाना है जिससे इस केस में तारीख ले ली जाये। इस केस का जल्दी फैसला नहीं हो इसलिए यह सब पूर्व प्रायोजित कार्यक्रम का हिस्सा था । हीरेन सरकारी वकील की चाल भांप गया और कहने लगा 

"मी लॉर्ड ! यदि हम एक बार रेखा की गवाही को एक तरफ रख दें तो भी मैं दस्तावेजी साक्ष्य से यह सिद्ध कर सकता हूं कि लाश समीर की थी न कि राहुल की" । हीरेन का आत्मविश्वास गजब का था । वह फिल्म पड़ोसन का एक गाना जिसमें सुनील दत्त और महमूद के मध्य गाने का मुकाबला होता है और जिसे किशोर कुमार और मन्ना डे साहब ने गाया है , उस गाने को सीटी के माध्यम से गाने लगा 
"एक चतुर नार करके सिंगार 
मेरे मन के द्वार में घुसत जात 
हम मरत जात अरे हे हे हे हे । 

एक चतुर नार बड़ी होशियार 
अपने ही जाल में फंसत जात 
हम हंसत जात अरे हे हे हे हे" । 

यहां पर नीलमणी त्रिपाठी "महमूद" और हीरेन "सुनील दत्त की भूमिका में थे और दर्शक हीरेन की धुन पर नाच रहे थे । हीरेन की सीटी से मंगल सिंह और त्रिपाठी दोनों जल भुन रहे थे मगर मीना सहित सबको आनंद आ रहा था । हीरेन ने आगे कहा 
"योर ऑनर ! लाश के शरीर से पोस्टमार्टम के समय बिसरा लिया गया था । उससे डी एन ए टेस्ट करवाया गया था । समीर की पत्नी मंजू देवी के पुत्र शलभ का भी डी एन ए टेस्ट करवाया था और रेखा के पुत्र नीटू का भी डी एन ए टेस्ट करवाया था । शलभ और नीटू का डी एन ए समीर के डी एन ए से पूरी तरह मैच कर रहा है । अब इसके बाद शक की कोई गुंजाइश नहीं है मी लॉर्ड कि वह लाश समीर की थी न कि राहुल की" । यह कहकर हीरेन ने समस्त डी एन ए रिपोर्ट अदालत को सौंप दी । जज साहब ने वे समस्त रिपोटें देखीं और शाबासी देने के अंदाज में हीरेन की ओर देखा ।

इसके बाद हीरेन ने एक बार फिर से विजयी मुद्रा में नीलमणी त्रिपाठी और मंगल सिंह की ओर देखा तो दोनों जने ईर्ष्या में जलकर कोयला हो गये । हीरेन के मुंह में आज कोहिनूर पान दबा हुआ था । वह उसकी तरंग में गजब ढा रहा था । उसके होंठ लाल सुर्ख हो गये थे जो मंगल सिंह और त्रिपाठी को बहुत बुरी तरह से चिढा रहे थे । 

हीरेन ने अपने बालों में उंगली घुमाते हुए कहा "योर ऑनर ! समीर ने एक पासपोर्ट बनवाया था । उसमें उसकी लंबाई 5 फुट 9 इंच लिखी है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसकी लंबाई 5 फुट 9 इंच ही अंकित है । इस लिहाज से मृतक समीर ही है । सरकारी वकील साहब का कहना है कि लाश राहुल की है । राहुल ने पुलिस में नौकरी के लिए एक बार फॉर्म भरा था । तब उसकी लंबाई नापी गई थी जो उसके दस्तावेज में लिखी है वह 5 फुट 6 इंच ही है । इस प्रकार मृतक राहुल हो ही नहीं सकता है" । हीरेन ने लाश की लंबाई और डी एन ए की रिपोर्ट के आधार पर यह सिद्ध कर दिया था की जो लाश अनुपमा के घर पाई गई थी वह समीर की थी । हीरेन ने लाश की लंबाई और राहुल की लंबाई से संबंधित समस्त कागजात अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर दिये । 

इसके बाद हीरेन ने रेखा से पूछना प्रारंभ कर दिया 
"समीर पिछले एक डेढ महीने से गायब है , क्या तुमने इस संबंध में कहीं कोई रिपोर्ट लिखवाई थी" ? 
"हां जज साहब । पहले तो मैं थानेदार मंगल सिंह से पूछती रही कि समीर कहां है , समीर कहां है , पर उसने कुछ नहीं बताया । तब बाद में मैंने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी" । 
 
रेखा के इस बयान से मंगल सिंह के होश उड़ गये । रेखा ने कहा था कि उसने मंगल सिंह से समीर के बारे में पूछा था । इससे तो यह सिद्ध हो जाएगा कि मंगल सिंह समीर और रेखा को जानता है । यदि अदालत को उन लोगों का संबंध पता चल गया तो बड़ा अनर्थ हो जाएगा । इससे घबरा कर वह खड़ा हो गया और कहने लगा ।
"योर ऑनर ! ये औरत कौन है , मैं इसे नहीं जानता । ये धंधे वाली औरत भरी अदालत में यूं ही अनाप-शनाप बके जा रही है और आप चुपचाप सुने जा रहे हैं । रोकिए इसे" । थानेदार मंगल सिंह की हवा टाइट हो गई थी ।

मंगल सिंह की बात पर हीरेन कुछ ऐतराज जताता, इससे पहले ही जज साहब मंगल सिंह की बात पर बुरी तरह गुस्सा हो गये और कहने लगे 
"मिस्टर मंगल सिंह, बीहैव योरसैल्फ । ये अदालत है तुम्हारा थाना नहीं जहां तुम गरीब , मजलूम और औरतों पर अपनी ताकत का बेजां इस्तेमाल करते हो । अदालत में नीची आवाज में बात किया करो नहीं तो नौकरी से हाथ धो बैठोगे एक दिन । अभी तो तुम्हारे काले कारनामे सामने आ रहे हैं कि कैसे एक स्त्री को फंसाने के लिए तुमने कैसे कैसे षड्यंत्र रचे हैं । जब तुम्हारे काले चिठ्ठे खुल रहे हैं तब तुम्हें जोर आ रहा है ? जब तुम एक शरीफ औरत पर चरित्र हीन होने का झूठा आरोप मढ रहे थे तब तो ठीक था । मगर जब एक औरत तुम्हारी पोल पट्टी खोल रही है तब तुमको वह औरत धंधे वाली लग रही है । और एक बात कान खोलकर सुन लीजिए मिस्टर मंगल सिंह कि किसी भी स्त्री को यहां अदालत में जलील करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है । कोर्ट में एक वेश्या भी उतनी ही सम्माननीय है जितनी कि एक पतिव्रता स्त्री होती है । इसलिए आप जब भी स्त्रियों के बारे में बात करो , जरा अदब से करना नहीं तो तुम्हारा कैरियर चौपट कर दूंगा मैं । और हां, जब हीरेन महोदय गवाह से बयान करा रहे हैं तब तुम्हें बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं है । तुम्हारा वकील गवाह से जिरह कर सकता है , बस । पर ध्यान रहे कि अदालत और औरत दोनों की गरिमा बनी रहनी चाहिए । समझ गये" ? जज साहब के मुंह से शब्द नहीं आग निकल रही थी । जज साहब का यह रूप देखकर मंगल सिंह भीगी बिल्ली बन गया और चुपचाप अपनी सीट पर बैठ गया । 

"हां तो हीरेन जासूस जी, कन्टीन्यू कीजिए" । हीरेन को हरी झंडी मिल गई थी । 
"मैडम, आप अदालत को यह बताऐं कि आप समीर के बारे में मंगल सिंह जी से क्यों पूछ रही थीं ? क्या मंगल सिंह समीर को जानते हैं" ? 
"जी हां, जज साहब । मंगल सिंह समीर को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, यह बात मुझे खुद समीर ने बताई थी । जिस दिन वे एक मर्डर करने जा रहे थे और वह सोने के बटन वाली शर्ट पहन रहे थे तब उनके पास किसी का फोन आया था । तब मैंने समीर से पूछा था कि किसका फोन है ? तब उन्होंने कहा था कि एक थानेदार जी हैं मंगल सिंह, उनका फोन है । मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक थानेदार मेरे सुपारी किलर प्रेमी को फोन कर रहा है तब समीर ने कहा "वह मुझसे कोई मर्डर करवाना चाहता है । मैं आज वही मर्डर करने जा रहा हूं । उन्होने उसका नाम भी बताया था । एक मिनट रुको, मैं नाम बताती हूं । हां, याद आया , उसका नाम शायद अक्षम बताया था" । बोलते बोलते रेखा की सांस फूलने लगी थी । 

मीरा उसके लिए एक गिलास पानी ले आई और उसे पानी पिलाया तो उसकी सांसें नॉर्मल हो गईं । हीरेन ने पूछा 
"जरा अच्छे से याद कीजिए कि वह नाम क्या था ? या तो सक्षम होगा या अक्षत होगा" ? 
"हां जी, याद आ गया । सक्षम नाम बताया था उन्होंने । कहा था कि सक्षम का मर्डर करने जाना है, थानेदार जी का हुकम है । पुलिस वालों के आदेश तो मानने ही पड़ते हैं ना" 

रेखा की बातें सुनकर हीरेन ही क्या पूरी अदालत दंग रह गई । जिस पुलिस पर लोगों की रक्षा करने का उत्तरदायित्व होता है वही पुलिस लोगों को मरवाने का काम कर रही है , ये कैसा अन्याय है ? रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं यहां तो । सब लोग मंगल सिंह को खा जाने वाली नजरों से देखने लगे थे । जज साहब ने स्थिति भांप ली और मंगल सिंह को पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश दे दिया । आजकल भीड़ बड़ी जल्दी क्रुद्ध हो जाती है और वह गुस्से में न जाने क्या कर बैठे ? मंगल सिंह के वहां से जाने के बाद हीरेन ने रेखा से फिर से पूछताछ करनी शुरू कर दी ।
"इसके बाद क्या हुआ" ? 
"इसके बाद वे मर्डर करने चले गये । फिर थोड़ी देर बाद उनका फोन आया "रेखा, मंगल सिंह तो कह रहा था कि खिड़की में लोहे की ग्रिल नहीं है पर यहां तो ग्रिल लगी हुई है । मेरे पास तो कोई "किट" भी नहीं है जिससे मैं उस ग्रिल को खोल पाऊं । मंगल सिंह आज ही टपकाने के लिए कह रहा है । तू मेरी किट मुझे दे जाएगी क्या ? मैं तुझे अपनी लोकेशन भेज दूंगा । तब मैंने कहा , दे आऊंगी । तब उन्होंने अपनी लोकेशन मुझे भेज दी । ये रही वो लोकेशन" । रेखा ने वह लोकेशन निकाल कर हीरेन को दिखा दी । हीरेन ने उसे जज साहब को दिखा दिया । अब तो सब कुछ स्पष्ट हो चुका था । 

मीना आश्चर्य से हीरेन को देखती रह गई   इतने पेचीदे केस को कितनी सहजता से हल कर रहा था हीरेन । केस की परत दर परत उघाड़ कर रख दी थी हीरेन ने और चेहरे पर न कोई घमंड और न कोई शिकन । वह सोच रही थी कि जासूस लोग शायद ऐसे ही होते होंगे ? उसे हीरेन पर बहुत प्यार आने लगा था । वह पानी पिलाने और पान खिलाने से ज्यादा और कुछ नहीं कर सकती थी यहां । 

हीरेन ने रेखा से आगे पूछताछ की । 
"फिर क्या हुआ" ? 
"फिर मैं नीटू को सामने वाले फ्लैट में छोड़कर अपनी एक्टिवा से उस लोकेशन पर पहुंची । वहां खिड़की पर लोहे की ग्रिल लगी हुई थी । मैंने वह "किट" जिसमें पेचकस, ड्रिलिंग मशीन और दूसरे औजार थे, समीर को दे दी । समीर ने मुझसे कहा कि मैं वापस घर चली जाऊं । तब मैंने समीर से कहा था कि वापस लौटते समय "किट" लाना मत भूलना । पर उसके बाद न तो समीर वापस आया और न ही वह किट आई" । 
"क्या तुम्हें मंगल सिंह का मोबाइल नंबर याद है" ? 
"नहीं योर ऑनर ! मैंने कभी पूछा नहीं" । 
"समीर का मोबाइल नंबर क्या है" ? 
"9414043365" 
"थैंक्स मैडम । अब आप सामने बैठ सकती हैं" । हीरेन प्रसन्न होते हुए बोला । 

इसके बाद हीरेन ने जज साहब से कहा "योर ऑनर, समीर की लाश के साथ उसका मोबाइल बरामद नहीं हुआ और जो रेखा मैडम ने "किट" के बारे में बताया , वह भी बरामद नहीं हुआ है । इसका मतलब है कि समीर की हत्या के बाद सारे सबूत नष्ट कर दिये गये । ये सबूत मंगल सिंह ने ही नष्ट किये होंगे क्योंकि इन सबूतों से वही फंसने वाला था । मेरे पास समीर की कॉल डिटेल हैं । 31 मई की रात कई बार बात हुई है समीर की मंगल सिंह से । 1 जून से मंगल सिंह ने अपना मोबाइल भी बदल लिया है जो इस बात का द्योतक है कि उस मोबाइल में उसके अनेक राज छिपे हुए थे । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
24.6.23 

   16
3 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:25 AM

बेहतरीन

Reply

Abhinav ji

27-Jun-2023 08:54 AM

Very nice 👍

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Jun-2023 03:02 PM

🙏🙏

Reply